सब कछ राख फिर भी बे फिक्र सिस्टम

बसखारी थाना क्षेत्र के स्थानीय कस्बा निवासी शुभम सोनी साथियों के साथ मत्रणा कर रहे थे। सभी को देख ऐसा लगा की वह काफी गंभीर मामले में व्यस्त हैं। पछे जाने पर शुभम ने बताया कि गत दिनों शार्ट सर्किट से शोरुम में आग लग गई का नुकसान हो गया। जिस कारण काम धंधे का संकट उत्पन्न हो गया है। वहीं प्रशासन की ओर से सहायता के लिए कोई पहल नहीं की गई। महरुआ थाना क्षेत्र के सेमरी गांव में गत एक अप्रैल को अज्ञात कारणों से लगी आग से राकेश, सूकन एवं जियालाल का रिहायशी मकान जलकर राख हो गया था। जिस कारण उनके परिवारीजनों को सिर छुपाने के लिए छत तक नहीं नसीब हो रही है। वहीं परिवारीजनों का पेट भरन भरने के लिए भी उन्हें लोगों की इमदाद का इंतजार हैकारण कि प्रशासन की ओर से नुकसान क मूल्याकन क लिए महज एक की आया था। जो कार्रवाई का अश्वासन देकर वापस लौट गया। ऐसे में परिवारीजनों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कोतवाली अकबरपुर के हासिमपुर बरसावां गांव शोभाराम ग्रामीणों के साथ घर के बाहर बैठकर वार्ता कर रहे थे। उनके माथे पर परेशानी की लकीर देखने से लग रहा है कि उनके ऊपर मुसीबत का संकट आ गया है। पूछे जाने पर शोभाराम वर्मा बताया कि 11 मई को पुत्री का विवाह है। शादी की तैयारी के लिए फसल कटन का कार्य कराया जाना था, लेकिन 16 अप्रैल को लगी आग से पूरी फसल जलकर राख हो गई। ऐसे में शादी की तैयारियां पूरी नहीं हो पा रही हैं। उनका कहना है कि प्रशासन की ओर से मदद के नाम पर महज आश्वासन ही मिला है। हासिमपुर बरसावां गांव के जानधर वर्मा की भी आग लगने से फसल जलकर राख हो गई थी। उनकी पुत्री का विवाह 27 मई को है। ऐसे में वह शादी की तैयारियों को लेकर परेशान दिखे। उन्होंने बताया कि शादी की तैयारियां पूरी कर पाना मुश्किल दिख रहा है। कम समय होने के कारण कहीं से व्यवस्था हो पाना भी संभव नहीं है। ऐसे में विवाह के लिए लोगों से मदद की गुजारिश की जा रही है, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई मदद नहीं मिल पा रही है। अकबरपुर ब्लॉक व मालीपुर थाना क्षेत्र के कैथी नसीरपुर में गत 14 अप्रैल को आग लगने से राम किशोर निहाल तिवारी पत्र स्व. राम किशोर तिवारी का आवासीय छप्पर, गृहस्थी का सामान व अनाज जलकर राख हो गया। आंखों के सामने परी गृहस्थी राख होती देख राम निहाल ने भी आग बझाने के लिए जान जोखिम में डालकर घंटों जूझे। आग तो तभी शांत हई जब सब कुछ राख हो गया। बदले में राम निहाल भी झलस गए। उन्हें जिला अस्पताल लाया गया जहां उपचार हआ। क्षेत्रीय लेखपाल वरुण त्रिपाठी ने उसी दिन जांच कर रिपोर्ट तहसीलदार को सौंप दी, लेकिन इमदाद के नाम पर फटी कौडी भी अभी तक राम निहाल को नसीब नहीं हई। अंबेडकरनगर जिले में हो अग्निदेवता का कहर लोगों की गाढ़ी कमाई को निगल रहा है। रिहायशी मकान एवं फसले आग के ढेर में तब्दील हो रही है। ऐसे में पीड़ितों पर दुखों का पहाड़ टूट रहा है। किसी के सामने वर्ष भर दो वक्त की रोटी का बंदोबस्त नहीं तो किसी के सिर से छत छिन गई है। वहीं हादसों को लेकर प्रशासनिक बेफिक्र रवैय्या पीड़ितों के जख्म पर नमक डालने सरीखा केज पर नमक डालने सरीखा साबित हो रहा है।गर्मी के मौसम के आगाज के साथ ही जिले में अग्निकांडों का सिलसिला शरू हो जाता है, जो बरसात के मौसम तक अनवरत चलता है। ऐसे में अग्निकांडों में हर साल तीन से चार करोड़ रुपये का नुकसान होता है। हादसों में अपना सब कुछ गवां चुके पीड़ितों को प्रशासन की ओर से मआवजा प्रदान करने का प्रावधान है। लेकिन यह मुआवजा ऊंट के मुंह में जीरा सरीखे साबित होता है। पीड़ितों को मुआवजे के लिए स्थानीय लेखपाल से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों तक का चक्कर काटना पडता है। ऐसे में पीडितों को दो वक्त की रोटी के लिप साल भर मशक़त करनी पटती है। गत वर्ष सम्मनपर थाना क्षेत्र के सिकरोहर गांव निवासी प्रिंस श्रीवास्तव के मकान में आग लगने व से करीब 20 लाख रुपये की गहस्थी जलकर राख हो गई थी। तत्समय मौके पर पहंचे स्थानीय लेखपाल ने नुकसान का मूल्यांकन लयन कर मुआवजा प्रदान करने का आश्वासन दिलाया था। लेकिन छह महीने से अधिक समय गुजरने के बाद भी उन्हें मुआवजा नहीं मिल सका। ऐसे में उन्हें अधिकारियों के चौखट पर माथा टेकना पड रहा है. लेकिन प्रशासन की लापरवाही ऐसे पीड़ितों पर भारी पड़ रही है